रांची : मोरहाबादी मैदान में धूप व बरसात में दो हज़ार से अधिक सहायक पुलिस कर्मी डटे हुए हैं लेकिन सूबे के मुख्यमंत्री व राज्य के भगवान कहे जाने वाले दिशोम गुरु इन सहायक पुलिसकर्मियों की मांगों को सुनकर अनसुना कर रही है। मोरहाबादी मैदान में 22 दिनों से अधिक ये लोग अपनी मांगों को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री से अपनी मांगों को लेकर गुहार लगा रहे हैं लेकिन हेमंत सोरेन इनकी मांगों को शायद सुनना पसंद नहीं कर रहे हैं। मोरहाबादी मैदान से महज 2.2 किलोमीटर की दूरी पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की आवास से तो वहीं 200 मीटर की दूरी पर दिशोम गुरु की आवास है।

सहायक पुलिसकर्मियों ने बताया कि चुनाव के समय हेमंत सोरेन जिस तरीके से युवाओं को अपनी ओर लुभाने का काम किया था ठीक उसी प्रकार चुनाव जीतने के बाद युवाओं को दलदल में ठेल देने की प्रयास कर रही है। हेमंत सोरेन की सरकार के गठन के 3 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक इस सरकार ने एक भी सफल परीक्षा का आयोजन नहीं करा सकी है। वहीं कॉन्ट्रैक्ट में बहाल हुए सहायक पुलिस कर्मी की नौकरी दांव पर लग चुकी है। मोरहाबादी मैदान में सहायक पुलिस कर्मी इस बरसात में भी अपनी मांगों को लेकर सरकार से इस प्रकार मन्नते कर रही हैं शायद भगवान भी अब तक उनकी मांगों को लेकर दस्तक दे दिए होते लेकिन सरकार की किसी भी प्रतिनिधि ने इन सहायक पुलिस कर्मियों से आज तक मुलाकात नहीं की है।
सहायक पुलिस कर्मी मौजूदा सरकार पर तरह तरह का आरोप लगा रहे हैं। हेमंत सरकार के चुनावी वादे तो कुछ और थी लेकिन चुनाव जीतने के बाद चुनावी वादे कुछ और वादे में बदल गई। सहायक पुलिस कर्मी ने बताया कि उस समय की रघुवर सरकार में जिस नियमावली के अनुसार हम लोगों को बहाल किया था लेकिन अब रघुवर सरकार शासन में नहीं है तो हेमंत सोरेन सरकार से उम्मीद थी लेकिन जिस प्रकार हेमंत सोरेन ने हमारी मांगों को नजरअंदाज कर रही है वह निंदनीय है। सहायक पुलिसकर्मी ने बताया कि दस हज़ार की मानदेय में आज के दिनों में घर चला पाना बहुत ही मुश्किल हो चला है और 1 जिले से दूसरे जिले में ड्यूटी करने के लिए हम लोगों को भेज दिया जा रहा है।
सहायक पुलिस कर्मी ने बताया कि बरसात के मौसम में हम लोग गीली जमीन पर सोने को मजबूर हैं लेकिन संगमरमर पर चलने वाले व महाराजा पलंग पर सोने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हमारे दर्द अहसास तक नहीं हो पा रहा है। हेमंत सोरेन जिस तरीके से अपने जीवन जी रहे हैं ठीक उसी प्रकार से हेमंत सोरेन को दूसरों के बारे में सोचना चाहिए और उनके दर्द का एहसास करना चाहिए। लेकिन सहायक पुलिसकर्मी अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रहा है और इस बरसात के मौसम में भी अपनी मांगों को लेकर अडिग है। सहायक पुलिस कर्मी चिलचिलाती धूप व बरसात को झेलने के लिए तैयार हैं लेकिन अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है। यदि सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती है तो हम लोग अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन मोराबादी मैदान में ही करेंगे लेकिन अपनी मांगों को लेकर पीछे नहीं हटने वाले हैं।
गांधी जयंती के अवसर पर मोरहाबादी मैदान में हेमंत सोरेन और राज्यपाल ने बदल लिए थे अपना कार्यक्रम
सहायक पुलिसकर्मी ने बताया कि मौजूदा हेमंत सोरेन सरकार हमारी मांगों को लेकर इस प्रकार से सोच में पड़ गए हैं कि गांधी जयंती के अवसर पर अपनी कार्यक्रम को ही बदल डाले थे। सहायक पुलिसकर्मी ने बताया कि दो अक्टूबर के दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल रमेश बैस का मोरहाबादी मैदान में कार्यक्रम रखा गया था। इस कार्यक्रम को लेकर मोहराबादी मैदान को किले में तब्दील कर दिया गया था ताकि कोई भी सहायक पुलिस कर्मी अपनी मांगों को मुख्यमंत्री और राज्यपाल के समक्ष ना रख सके लेकिन सहायक पुलिस कर्मी की आवाज इतनी बुलंद थी कि शायद हेमंत सोरेन और राज्यपाल ने अपनी कार्यक्रम को बदल डाली थी। सहायक पुलिस कर्मी ने बताया कि नक्सल प्रभावित इलाके में हम लोग जान की बाजी लगाकर अपनी ड्यूटी का निर्वहन करते हैं लेकिन गद्दी पर बैठे सत्ता पक्ष हमारी मांगों को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है। अब तक ड्यूटी करते हुए हमारे दो सहायक पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं लेकिन उनके परिवार वालों को अब तक किसी भी प्रकार से आर्थिक सहयोग की मदद नहीं की गई है।
किस बात पर है विवाद?
सहायक पुलिसकर्मियों ने बताया कि तत्कालीन रघुवर सरकार के कार्यकाल में 12 नक्सल प्रभावित जिलों के 2,500 युवक-युवतियों को तीन साल की संविदा पर गृह जिला में सेवा देने के लिए रखा गया था। पिछले साल संविदा अवधि खत्म होने पर नौकरी से निकाले जाने की प्रक्रिया के खिलाफ आंदोलन हुआ था। इसके बाद एक साल के लिए संविदा बढ़ा दी गई थी। इसी बीच 2022 तक संविदा बढ़ा दी गई है। लेकिन अबतक मानदेय में किसी तरह का कोई इजाफा नहीं हुआ है। ऊपर से गृह जिला से हटाकर दूसरे जिलों में सेवा ली जा रही है।





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