आजासु पार्टी की नेत्री तथा समाज सेवी विजेता वर्मा ने साहेबगंज की महिला थाना प्रभारी रूपा तीर्कि के मौत के मामले को साजिशन हत्या का मामला बताते हुए, झारखंड सरकार पर तिखा प्रहार किया है और कहा की
रूपा तिर्कि की मौत एक साजिश के तहत हुआ है जिसे आत्महत्या का रूप दिया जा रहा है. यह बहुत ही हैरान कर देने वाली बात है, एक आदिवासी प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और उसी प्रदेश में एक आदिवासी अधिकारी की मौत हो जाती है और वे चुप हैं. यहाँ जांच का स्तर बहुत ही निचले स्तर का है।
ऐसा लगता है कि सरकार किसी को बचाने की कोशिश कर रही है. समझ में नहीं आता है आखिर क्यों उन दो महिला दरोगा और पंकज मिश्रा को क्लीन चिट दे दी गई है? पंकज मिश्रा कौन है यह बताने की आवश्यकता नहीं है, सभी को पता है। इसलिए सरकार को इसकी निष्पक्ष जांच सीबीआई से करानी चाहिए।
मृतक रूपा तिर्की के मामले को कमजोर करने के लिए आजकल मुख्यमंत्री की तरफ से ट्विटर पर कुछ योजनाओं और अभियानों की घोषणा की जा रही हैं जैसे कि झारखंड आंदोलन से जुड़े लोगों को सम्मानित और सरकारी नौकरी देने की घोषणा।
मैं तो इसे रूपा तिर्की के मामले से ही जोड़कर देखूंगी क्योंकि ऐसा लगता है कि सरकार आदिवासियों के गुस्से को शांत करना चाहती है और अपनी इमेज को अच्छा रखना चाहती है।
इसलिए मेरी गुजारिश है राजनीति छोड़ कर मृतक रूपा के साथ न्याय किया जाए और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए
यदि वे वाकई आदिवासियों के सच्चे हितैषी हैं तो दोषियों को तुरंत सजा दिलवाने के लिए सीबीआई से जांच करवाएं।




