सिल्लीः- सिल्ली लुपुंग टोला काली मंदिर के समीप शुक्रवार को सरहुल पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया।
सभा को संबोधित करते हुए अतिथियों ने कहा कि सरहुल केवल एक पर्व ही नही बल्कि झारखंड के गौरवशाली प्राकृतिक धरोहर का नाम है। यही धरोधर मानव सभ्यता संस्कृति एवं पर्यावरण का रीढ़ भी है। यह एक एैतिहासिक पर्व भी है। इस संस्कृति को बचाये रखना हम सबो का कर्त्तव्य है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे लुपुंग मुखिया सीमा कुमारी ने कहा कि सरहुल महोत्सव में महिलाओ की भागीदारी अहम होती है। सरहुल सादगी के साथ मनाये जाने वाला पर्व है। समारोह का संचालन गोंदुरा उरांव ने किया।
समारोह के पुर्व अपराह्न में सिल्ली बजार में सरहुल जुलूस निकाली गई जिसमे मोदीडिह, खापचाबेड़ा, फुलवेर, पिस्का, छाताटांड़, सिल्ली निचेटोला, बुढ़ागुजु, कमलामाइल, काशीपीड़ी, छोटामुरीआदी गांव के सरहुल समिति के नृत्य मंडली रांची पुरुलिया मेन रोड पर थाना चौक, काली मंदिर, बुंडू रोड आदि जगहों से होते हुए डीजे की धुन पर पुरुष व महिलाएं नृत्य करते हुए लुपुंग टोला सरना स्थल पहुंचे जहां आयोजित सरहुल समारोह में सामुहिक नृत्य में सभी महिला, पुरुष, बच्चे, सरना समिति के सदस्य एवं अतिथि गण ढोल, मांदर एवं डीजे के धुन पर खुब थिरके।
इस मौके सरना समिति के त्रिदेव मांझी, रेशमी कुमारी, शुशील उरांव, शंकर उरांव, मंगरा मुंडा, भवानीत मुंडा, श्रवन मुंडा, विक्रम महली, रवि मुंडा, वासुदेव सिंह मुंडा ,अनिल कुमार मांझी समेत काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।





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